अंतःस्रावी विकार, जो अस्थि हानि पैदा कर सकते हैं, उनमें शामिल हैं कुशिंग सिंड्रोम[11], हाइपरपैराथाइरॉइडिस्म,[11] थाइरोटॉक्सिकोसिस,[11] हाइपोथाइरॉइडिज़्म, मधुमेह प्रकार 1 और 2,[20] अतिकायता और अधिवृक्क कमी.
2.
कुछ शरीरक्रियात्मक लक्षण जैसे, “हाइपोथैलेमस-पीयूष-जननांग अक्ष के व्यापक अंतःस्रावी विकार स्त्रियों में अनार्तव और पुरूषों में यौन रूचि व सम्भोगक्षमता के अभाव के रूप में देखे जाते हैं.
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कुछ शरीरक्रियात्मक लक्षण जैसे, “हाइपोथैलेमस-पीयूष-जननांग अक्ष के व्यापक अंतःस्रावी विकार स्त्रियों में अनार्तव और पुरूषों में यौन रूचि व सम्भोगक्षमता के अभाव के रूप में देखे जाते हैं.
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अंतःस्रावी विकार, जो अस्थि हानि पैदा कर सकते हैं, उनमें शामिल हैं कुशिंग सिंड्रोम [11], हाइपरपैराथाइरॉइडिस्म,[11] थाइरोटॉक्सिकोसिस,[11] हाइपोथाइरॉइडिज़्म, मधुमेह प्रकार 1 और 2,[20] अतिकायता और अधिवृक्क कमी.
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प्रोलैक्टिन रोगप्रतिकारक के संबंध में मानते हैं कि वे अन्य स्वरोगक्षमता वाले विकारों में हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया में भूमिका निभाते हैं और सारकॉइडोसिस के रोगियों में अंतःस्रावी विकार स्वरोगक्षमता का उच्च प्रचलन देखा गया है.
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प्रोलैक्टिन रोगप्रतिकारक के संबंध में मानते हैं कि वे अन्य स्वरोगक्षमता वाले विकारों में हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया में भूमिका निभाते हैं और सारकॉइडोसिस के रोगियों में अंतःस्रावी विकार स्वरोगक्षमता का उच्च प्रचलन देखा गया है.